September 28, 2024
रामकृष्ण परमहंस

चमत्कार बड़ी या साधना- संत रामकृष्ण परमहंस

आज कल हम बहुत सारे साधुओं को कोई न कोई चमत्कार दिखाने और जीवन बदलने का दावा करते देखते हैं, लेकिन एक बार संत रामकृष्ण ने ऐसे ही चमत्कारी साधु की साधना की निरर्थकता को सिद्ध कर दिखाया था।

 क्या सनातन धर्म में ऐसे चमत्कारों को करने वाले संतों को कभी महान माना गया है? क्या ऐसी सिद्धियाँ होने का दावा करने वाले हमारे जीवन को बदल सकते हैं? क्या ऐसी सिद्धियों वाले बाबाओं को क्या कभी भगवान  दर्शन दे सकते हैं?

रामकृष्ण परमहंस और पानी पर चलने वाले योगी की कथा

आज सनातन सद् गुरु पर हम ऐसी सिद्धियों वाले बाबाओं से विपरीत माँ काली का दर्शन करने वाले बंगाल के महान संत ठाकुर रामकृष्ण परमहंस जी की एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने एक ऐसे ही सिद्धि प्राप्त योगी को उसकी असलीयत बता दी थी ।

हुआ ये था कि एक बार ठाकुर श्री रामकृष्ण परमहंस जी के पास एक योगी आया और उसने उनसे कहा कि कहा जाता है कि आपकों माँ काली रोज़ दर्शन देती हैं और आपको सारा संसार परमहंस कहता है। लेकिन क्या आप कोई चमत्कार कर सकते हैं? क्या आपके पास कोई ऐसी सिद्धि है जो आपको माँ काली ने दी हो?

आप तो जानते ही होंगे कि ठाकुर  श्रीरामकृष्ण परमहंस सनातन धर्म के ऐसे महान संत हुए हैं जिन्होंने सभी धर्मों के मार्गों को अपना कर ईश्वर को प्राप्त करने की साधना की थी। लेकिन  वो एकदम सरल स्वभाव के थे। जब उस योगी ने उनसे ऐसा कहा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि मुझे तो कोई भी चमत्कार करना आता ही नहीं, मैं तो बस माँ काली की भक्ति करता हूँ ।

पानी पर चलने वाला योगी

तब उस योगी ने बंगाल के महान संत और मां काली के भक्त ठाकुर श्रीराम कृष्ण परमहंस की हंसी उड़ाते हुए कहा कि “तुम तो ऐसे-वैसे साधु लगते हो। तुम्हें कोई चमत्कार भी नहीं आता, लेकिन मैंने अठारह साल हिमालय में तपस्या कर ऐसी सिद्धि प्राप्त की है, जैसी महात्मा बुद्ध के पास थी, यानि मैं भी पानी पर चल सकता हूँ।“

 ठाकुर रामकृष्ण परमहंस कोलकाता के प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर माँ काली मंदिर में ही रहते थे और वही माँ काली की साधना करते थे। दक्षिणेश्वर का मंदिर हुगली नदी के किनारे ही स्थित है। बंगाल में गंगा नदी को ही हुगली नदी भी कहते हैं।

तो उस योगी ने हुगली नदी के पानी में अपने पैर रखे और वो पानी पर ही चलते हुए नदी के दूसरे तट पर पहुंच गया और उसके बाद वो फिर पानी में चलते हुए ही नदी के इस पार भी वापस आ गया।

पानी पर चल कर योगी ने किया चमत्कार

उस योगी के इस चमत्कार को देख कर वहाँ मौजूद लोग दंग रह गए और उसकी जय जय कार करने लगे। अहंकार से भरे उस योगी ने ठाकुर रामकृष्ण परमहंस से पूछा कि “ क्या तुम पानी मे इस प्रकार चलने की सिद्धि जानते हो? ” तब भोले स्वभाव के ठाकुर रामकृष्ण परमहंस जी ने सरल भाव से पास ही खड़े एक नाविक से पूछा कि हुगली नदी को पार करने का कितना किराया लगता है? तब उस नाविक ने कहा कि ” दो आने किराये में मैं लोगों को हुगली नदी पार करा देता हूँ। “

ठाकुर रामकृष्ण परमरहंस ने किया योगी को निराश

इसके बाद ठाकुर रामकृष्ण जी ने उस योगी से कहा कि तुमने हिमालय में अठारह साल तपस्या कर जिस पानी पर चलने वाली सिद्धि को प्राप्त किया उसका मूल्य सिर्फ दो आना ही है, क्योंकि नाविक भी दो आने में  हुगली नदी को पार कराता है। रामकृष्ण परमहंस ने योगी से फिर कहा कि जैसे तुम नदी पर चल कर इसे पार कर जाते हो और इस छोटी सी सहूलियत के लिए तुमने अपने अठारह साल हिमालय में बर्बाद कर दिये। सोचो अगर तुमने ये अठारह साल भगवान को प्राप्त करने में बिताए होते तो आज तुम एक सच्चे संत होते।

सिद्धियों से ज्यादा जरुरी है साधना

ठाकुर ने आगे कहा कि सिद्धियों को प्राप्त करना बहुत मुश्किल नहीं हैं, लेकिन ये सिद्धियाँ और ये चमत्कार हमें ईश्वर से दूर कर देती हैं। ईश्वर कई बार हमें ऐसी छोटी मोटी सिद्धियों को देकर बहला भी देते हैं, ताकि हम भटक जाए। ये हमारा काम है कि हम ऐसी सिद्धियों को भगवान से प्राप्त करने के बजाय खुद भगवान को ही भगवान से मांग ले, तभी हमारा सच्चा कल्याण हो सकता है।

ठाकुर की ये बातें सुन कर वहाँ मौजूद सभी लोगों  ने ठाकुर को प्रणाम किया और उस योगी ने भी ठाकुर रामकृष्ण जी से क्षमा मांगी और वहाँ से चला गया। ये थी चमत्कारी बाबाओं की असली हकीकत। आपसे भी निवेदन है कि आप भी ऐसे चमक्तारी बाबाओं से खुद को दूर रखें और भगवान को ही पाने के लिए पूजा पाठ करें।

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