हरेक धर्म को मानने वाले शकुनों और अपशकुनों पर विश्वास करते हैं। पूरी दुनिया के हर धर्मों में कुछ ऐसे संकेतों का वर्णन किया गया है जिनकी वजह से हमें ये अहसास होने लगता है कि हमारी जिंदगी में कुछ बुरा होने वाला है। इन्हें ही अपशकुन कहते हैं। हिंदू धर्म में भी कुछ ऐसे संकेतों का वर्णन है जिन्हें अपशकुन कहा जाता है यानि अगर वो संकेत हमारे जीवन में आने लगें तो निश्चित तौर पर भविष्य में कुछ बुरा होने वाला होता है ।
जब हमारी परेशानी की वजह समझ न आए
अक्सर हम लोग अपनी जिंदगी से कई बार परेशान हो जाते हैं और हमें ये लगने लगता है कि मैंने अगर ये काम और सही ढंग से किया होता तो आज शायद मैं कहीं और होता लेकिन ये बात सिर्फ काश हो कर रह जाती है.और फिर हम अपने आप को दोषी मान कर हार कर बैठ जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आप जिस काम के लिए इतनी मेहनत करते हैं उसमे आप सफल क्यों नहीं होते हैं या फिर ऐसा क्या होता है जो आपके काम को अच्छा नहीं होने देता है तो आप इस बात से बिल्कुल भी परेशान मत होइए हम आपको बताने जा रहे हैं, प्रकृति के कुछ ऐसे संकेतों के बारे में जिनके कारण आपको बार बार असफलता का मुंह देखना पड़ रहा है।
संकेतों को कैसे पहचानें ?
तो अगर आप किसी अच्छे काम के लिए कहीं निकलते हैं तो आपको किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए या फिर आपके साथ जब कुछ बुरा होने वाला होता है तो प्रकृति आपको कुछ न कुछ संकेत तो देती ही है लेकिन आप उस संकेत को पहचान नहीं पाते हैं और फिर आपके साथ कुछ ना कुछ बुरा हो जाता है। लेकिन ये हमारे सनातन धर्म के ग्रंथ आपको बताते हैं क्योंकि हमारे वेदों और पुराणों में भी अनेक प्रकार की ऐसी शुभ और अशुभ घटनाओं को दर्शाया है।
तो चलिए हम आपको ले कर चलते हैं रामायण के प्रसंग पर जब भारत जी अपने ननिहाल में एक बुरा सपना देखते हैं-
स्वप्ने पितरमद्राक्षं मलिनं मुक्तमूर्ध्वजम्। पतन्तमद्रिशिखरात् कलुषे गोमये ह्रदे ।।
स्वप्नेऽपि सागरं शुष्कं चन्द्रं च पतितं भुवि । उपरुद्धां च जगतीं तमसेव समावृताम्।।11
भरत जी अपने मित्रों से कहते हैं कि मैंने सपने में देखा है कि मेरे पिता जी अपने शरीर का बुरा हाल बनाकर पर्वत की चोटी से एक ऐसे गंदे गड्ढे में पड़े हैं जिसमें गोबर भरा हुआ है और वो उसी गोबर के गड्ढे में गोता लगा रहे हैं और हँस रहे हैं ।सपने में मैंने ये भी देखा कि समुद्र सूख गया है चंद्रमा पृथ्वी पर गिर गया है सारी पृथ्वी में अंधकार सा छा गया है।
दशरथ जी की मृत्यु से पहले हुए थे अपशकुन
भारत जी ने अपने सपने को सुनाया और उन्हें इस बात का पता चल गया था की कुछ ना कुछ बुरा होने वाला है क्योंकि ये प्रकृति का संकेत था जो सपने के रूप में भरत को बता रहा था।
एतमेतन्मया दृष्टमिमां रात्रिं भयवहाम्।
अहं रामोऽथवा राजा लक्ष्मणो वा मरिष्यति।।17
भरत जी कहते हैं कि “मेरा सपना यही संकेत कर रहा है कि मुझे या श्री राम राजा दशरथ और लक्ष्मण इनमें से किसी एक की मृत्यु होगी।.मतलब ये है कि भरत को संकेत मिला उनके स्वप्न के द्वारा और उनके पिता की मृत्यु हो गई तथा श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हो गया।“
महाभारत में अपशकुनों का वर्णन
इसी प्रकार महाभारत में महाराज युधिष्ठिर ने भी बुरे संकेत को जान लिया था और प्रकृति के द्वारा दिए जाने वाले अपशकुन को पहचान कर अपने भाइयों को भी बताया था।
ववुर्वाताश्च निर्घाता रुक्षा: शर्करवर्षिण:।
अपसव्यानि शकुना मण्डलानि प्रचक्रिरे ।।2
प्रत्यगूहुर्महानद्यो दिशो नीहारसंवृता:।
उल्काश्चाङ्गारवर्षिण्य: प्रापतन् गगनाद् भुवि।। 3
( महाभारत मौसलपर्व – अध्याय -1 )
युधिष्ठिर बताते हैं कि “बिना मौसम के ही बरसात अर्थात् बिजली की गड़गड़ाहट के साथ बालू और कंकड़ बरसाने वाली प्रचण्ड हवा चलने लगी मतलब तूफान आने लगा और सारे पक्षी उल्टी दिशा की ओर उड़ने लगे बड़ी बड़ी नदियां सूखने की स्थिति में आ गई हैं।“ युधिष्ठिर बताते हैं कि “चारों दिशाएं कोहरे से ढंक गई हैं पृथ्वी पर आकाश से अंगार बरसाने वाली उल्काएं गिराने लगी हैं। सूर्य अपने तेज से पूरी पृथ्वी को जलाने के लिए आगे बढ़ने लगा और मानो सूर्यमंडल से तारे दूर भाग रहे हों।“
श्रीकृष्ण की मृत्यु से पूर्व हुए थे अपशकुन
जब ऐसी घटनाएं युधिष्ठिर ने देखीं तभी उनके गुप्तचरों ने बताया कि वासुदेव श्रीकृष्ण इस संसार को छोड़ के चले गए हैं और सारे यदुवंशी एक दूसरे के ही खून के प्यासे हो गए हैं। ऐसा सुनकर युधिष्ठिर ने उन संकेतों के बारे में सोचा कि प्रकृति कुछ न कुछ तो संकेत कर रही थी और मन में शंका भी हो रही थी कि कुछ बुरा होने वाला है। तो हमारे कहने का मतलब यह है कि कई बार ऐसा हो जाता है कि हम कुछ करने जाते हैं औऱ हो कुछ और जाता है…तो आप लोग भी सावधान हो जाइए ।कहीं भी आपको ऐसे संकेत दिखाई दें तो सतर्क होकर सबको सूचित करें और आने वाली समस्या के लिए तैयार हो जाएं।