अश्वत्थामा मर चुका है, वो भी आज से करीब दो हजार साल पहले… यह कोई मनगढ़ंत बातें नहीं बल्कि सच्चाई है… इस सच्चाई से जुड़ी तथ्यों को हम आपके सामने रखें, लेकिन उससे पहले अश्वत्थामा पर एक नजर डाल लेते हैं…
कौन था अश्वत्थामा ?
अश्वत्तामा का जन्म भारद्वाज ऋषि के पुत्र गुरु द्रोण के यहां हुआ था…उनकी माता ऋषि शरद्वान की पुत्री कृपा थीं… अश्वत्थामा के पैदा होने से पहले गुरु द्रोण और उनकी पत्नी कृपा के परिवार वाले अति संपन्न थे, धन संपदा की कमी नहीं थी… लेकिन जैसे ही अश्वत्थामा पैदा हुआ वैसे ही इन दोनों का परिवार गरीब होता गया… गुरु द्रोण की गरीबी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बचपन में जब अश्वत्थामा दूध के लिए रोता था तब उसे चावल के आटे का घोल बनाकर दिया जाता था… हालांकि कुछ सालों बाद गुरु द्रोण, कुरु वंश के कुमारों को शिक्षा देते हैं और अश्वत्थामा भी इनके इस कार्य में मदद करने लगता है… धीरे धीरे अश्वत्थामा दुर्योधन का अच्छा दोस्त बन जाता है और महाभारत के युद्ध के समय वे पांडवों का नहीं बल्कि कौरवों का साथ देता है…
अश्वत्थामा ने क्यों छोड़ा था ब्रह्मास्त्र ?
कुरुक्षेत्र में जब राक्षसों की सेना ने घटोत्कच के नेतृत्व में भयानक हमला किया तो सभी कौरव भाग खड़े हुए लेकिन अश्वत्थामा वहां अकेले ही डटा रहा और घटोत्कच का पुत्र अंचनपर्वा को मार डाला… अश्वत्थामा युद्ध में वीरता से लड़ता तो है लेकिन वह अपने पिता गुरु द्रोण की मृत्यु से इतना आहत हो जाता है कि पूरे पांडवों के विनाश का संकल्प लेता है… पांडवों के विनाश के लिए अश्वत्तथामा नारायणास्त्र छोड़ता है जिससे एक ही क्षण में पांडव और उनकी पूरी सेना नष्ट हो जाती, लेकिन कृष्ण की चाल से पांडव और उनकी सेना बच जाती है… अश्वत्थामा लाख कोशिश करने के बाद भी पांडवों को मार नहीं पाता है… अतं में अश्वत्थामा अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता है, जिसकी बचाव में अर्जुन भी ब्रह्मास्त्र चलाते हैं… हालांकि ऋषियों की प्रार्थना पर अर्जुन उस ब्रह्मास्त्र को वापस तो ले लेते हैं लेकिन अश्वत्थामा अपने ब्रह्मास्त्र को वापस नहीं ले पाता है और अभिमन्यु की विधवा उतरा की कोख की तरफ मोड़ देता है… इस पूरी घटना को कृष्ण देख रहे होते हैं और अपनी शक्तियों से उतरा की कोख को बचा तो लेते हैं लेकिन अश्वत्थामा को जो श्राप देते हैं वहीं इसकी मौत का प्रमाण है…
अश्वत्थामा की मौत-उसके प्रमाण
अश्वत्थामा के छोड़े गए ब्रह्मास्त्र से भगवान कृष्ण उतरा की कोख को तो बचा लेते हैं लेकिन अश्वत्थामा को शाप देते हैं, जिसका जिक्र महाभरत के सौप्तिक पर्व के अध्याय 16 में मिलता है…कृष्ण श्राप देते हुए कहते हैं कि, हे अश्वत्थामा ! आज से तीन हजार साल तक तू इस पृथ्वी पर भटकता रहेगा… तुझे कहीं, किसी से भी बातचीत करने का सुख नहीं मिलेगा… तू अकेला ही निर्जन स्थानों पर घूमता रहेगा… श्री कृष्ण आगे कहते हैं कि, वो नीच तू लोगों के बीच रूक नही पाएगा… क्योंकि तेरे शरीर से पीब और खून की बदबू आती रहेगी इसलिए तुझे किसी दुर्गम जगह का ही सहारा लेना पड़ेगा… हे पापी तू अपनी दुख औऱ शरीर की पीड़ा से कराह तो रहेगा लेकिन तेरी सहायता करने के लिए कोई भी तैयार नहीं होगा… जब आप यहां भगवान कृष्ण की बातों को ध्यान से सुनेंगे तो पता चलेगा कि अश्वत्थामा जिंदा नहीं बल्कि मर चुका है… दरअसल, श्री कृष्ण, गुरु द्रोण के पुत्र को तीन हजार साल तक भटकने का श्राप देते हैं… जो आज से करीब दो हजार साल पहले बीत चुका है….
दो हजार साल पहले ही मर चुका है अश्वत्थामा
असल में महाभारत का युद्ध और महाभारत की रचना का समय भले ही अलग अलग रहा हो लेकिन भ्रम की स्थिति में पड़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह स्थापित सत्य है कि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के संयोग से लगभग 3112 ईसा पूर्व को हुआ था. जो आज से करीब 5129 वर्ष पूर्व है… ज्योतिषियों की माने तो कृष्ण के जन्म के वक्त रात 12 बजे शून्य काल था, जो यह बताता है कि महाभारत का युद्ध 31वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था… इसके अलावा महाभारत में वर्णित सूर्य और चंद्र ग्रहण से पता चलता है कि यह युद्ध 31वीं सदी ईसा पूर्व में लड़ा गया था. महाभारत के आज से करीब पांच हजार साल पहले होने का साक्ष्य आर्यभट्ट की एक शोध से भी मिलता है जिसमें वह बताते हैं कि, महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ था और ठीक इसके 35 साल बाद कलियुग का आरंभ हुआ. यानी महाभारत के युद्ध का समय आज से करीब 5 हजार साल से भी ज्यादा है, जो यह बताता है कि, अश्वत्थामा की मौत तकरीबन दो हजार साल पहले ही हो चुका है…
महाभारत पर ब्रिटिश फिजीशियन की शोध–
साल 2020 में ब्रिटिश फिजीशियन डॉक्टर मनीष पंडित ने महाभारत युद्ध के समय को लेकर शोध किया था. यह शोध महाभारत में वर्णित करीब 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में किया गया था. जिसका यह निष्कर्ष निकला कि, महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था. जो आज से करीब पांच हजार साल पहले था. महाभारत में वर्णित खगोलीय घटनाएं, आर्यभट्ट की खोज और फिजीशियन डॉक्टर मनीष पंडित की शोध बताती है कि, महाभारत के युद्ध का प्रमाण आज से करीब पांच हजार साल पहले मिलता है. जो ये साबित करता है कि अश्वत्थामा जिंदा नहीं बल्कि 2 हजार साल पहले ही मर चुका है