शिव की उत्पति को लेकर तमाम तरह की बाते की जाती है लेकिन सच्चाई तो यह है कि किसी भी वेद में भगवान शिव के जन्म का उल्लेख नहीं है हां, पुराणों में शिव के ओरिजिन का जिक्र अवश्य मिलता है, चाहे वो शिव पुराण हो, भागवद्पुराण हो या श्रीमद्देवीभावत पुराण इन पुराणों में एक जगह जिक्र शिव के बालरूप का भी मिलता है
ब्रह्मा के गोद में हुई थी शिव की उत्पति ?
एक बार ब्रह्मा जी को एक बार बच्चे की जरूरत पड़ीI इस जरूरत के पीछे भी एक तर्क दिया जाता है. कहा जाता है कि, जब इस संसार में कोई नहीं था तब, केवल विष्णु जी, शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुए थे और उनके नाभी से ब्रह्मा की उत्पति हुई. इसके बाद भगवान ब्रह्मा और विष्णु अपने अपने जन्म और इस संसार को सुचारू रूप से चलाने को लेकर एक दूसरे से चर्चा कर रहे थे कि, अचानक वहां शिव जी प्रकट हुए. हालांकि भगवान शिव को ब्रह्मा जी पहचानने से इंकार कर दिया, और वे समझ ही नहीं पाए कि हम दोनों के बीच में यह कौन प्रकट हो गया. इसके बाद भगवान विष्णु ने उन्हें दिव्य दृष्टि दी और फिर उन्हें शिव की सच्चाई का एहसास हुआ. हालांकि भगवान शिव, ब्रह्मा जी के इस व्यवहार से नाराज हो गए थे. जिसको मनाने के लिए ब्रह्मा जी ने उनसे प्रार्थना की और अपने पुत्र के रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा. शिव जी को मानने के लिए ब्रह्मा जी ने घोर तपस्या की और उनकी गोद में एक रोता हुआ बच्चा प्रकट हुआ. यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि खुद शिव थे. रोते हुए बच्चे को देख भगवान ब्रह्मा ने पूछा कि आखिर तुम रो क्यों रहे हो. इस पर उसने बड़े मासूमियत से जवाब दिया और कहा कि उसका कोई नाम नहीं है. तब ब्रह्मा ने उस बच्चे का नाम रूद्र रखा जिसका अर्थ होता है रोना वाला. रुद्र नाम सुन वो बच्चा और जोर जोर से रोने लगा, इस पर भगवान ब्रह्मा और परेशान हो गए और एक बार फिर से उसके रोने का कारण पूछा. इस पर उस छोटे शिव ने कहा कि यह नाम मुझे पसंद नहीं आ रहा. अंत में ब्रह्मा जी उस बच्चे को चुप कराने के लिए 108 नाम दिए. जो आगे चलकर रुद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम पशुपति, ईशान और महादेव के नामों से जाने गए.
ब्रह्मा, विष्णु, महेश में सबसे बड़ा महान कौन ?
आप अधिकतर इस बात को लेकर बहस देखते होंगे कि, ब्रह्मा, विष्णु और महेश में सबसे बड़ा या सबसे महान कौन ?. ऐसा नहीं है कि, यह बहस केवल आम लोगों के बीच ही होती है बल्कि इस मुद्दे पर नोंक झोक भगवानों में भी हुई थी. वो भी खुद ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच. दरअसल, शिव पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच इस बात पर बहस छिड़ गई कि सबसे महान कौन है? इस बात को लेकर जब दोनों बहस कर रहे थे, तभी उनके बीच एक खंभा प्रकट हुआ, जिसमें से एक आवाज आई, कि जो भी इस खंभे का आखिरी छोर ढूंढ लेगा, वही सबसे महान कहलाएगा. यह सुनते ही ब्रह्मा जी ने एक पक्षी का रूप लिया और खंभे का ऊपरी हिस्सा ढूंढने निकल गए. वही, विष्णु जी वराह का रूप धारण कर खंभे का अंत ढूंढने लगे. जब काफी देर तक खोजने के बाद भी दोनों ने हार मान ली तब भगवान शिव अपने असली रूप में आए. इसके बाद भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने यह मान लिया कि हम दोनों नहीं बल्कि शिव सबसे महान और शक्तिशाली हैं. विष्णु और ब्रह्मा के बीच अचानक से प्रकट हुआ यह खंभा बताता है शिव का न तो जन्म हुआ और ना ही वे कभी मर सकते हैं. सीधे शब्दों में कहा जाए तो, शिव स्वयंभू है, जो खुद प्रकट हुए हैं.
कौन है शिव के मां-बाप ?
शिव के मां बाप का जिक्र श्रीमद् देवीभागवतपुराण में मिलता है. श्रीमद् देवीभागवतपुराण की माने तो- जब एक बार नारद जी अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछते हैं कि आपके और विष्णु, महेश के मां बाप कौन है ? इस पर ब्रह्मा जी जो कहते हैं उसे सुन शायद आप चौंक जाएंगे. ब्रह्मा जी नारद को बताते हैं. देवी दुर्गा और शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग से हम तीनों का जन्म हुआ है, प्रकृति का रूप धारण की मां दुर्गा ही हम तीनों की माता है और कालसदाशिव हम सबके पिता है. ब्रह्मा जी आगे बताते हैं भगवान सदाशिव और पराशक्ति अम्बिका से ही हम तीनों की उत्पत्ति हुई है. इसलिए मां अम्बिका को त्रिदेवजननी भी कहा जाता है. श्रीमद्देवीभागवतपुराण में लिखी गई बात यह साबित करती है कि, 8 भुजाओं में अनेक प्रकार के अस्त्रों को धारण करने वाली शक्ति, मां दुर्गा ने कालरूप सदाशिव के साथ मिलकर ब्रह्मा और विष्णु का सृजन किया. जिन्होंने आगे शिव के साथ मिलकर इस संसार की रचना की.