हमारा उद्देश्य हिंदू सनातन धर्म और उनके प्राचीन और वर्तमान सदगुरुओं की ज्ञान परम्परा को उद्घाटित और प्रचारित करना है। हमारा लक्ष्य निर्गुण, सगुण और सभी ज्ञात संत परंपराओं को यथा स्वरूप प्रस्तुत करना है। सनातन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है । इस धर्म के दर्शन, रीति रिवाज, परंपराएं और मान्यताएं भिन्न भिन्न मतों के द्वारा निर्धारित और संचालित होती रहती है। हमारा उद्देश्य ऋग्वेद के महावाक्य आनो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्व है जिसका अर्थ है विश्व के सारे विचारों का स्वागत किया जाना चाहिए।
हमारा उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सनातन धर्म के उन विचारों का प्रचार प्रसार करना है जिनके द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को स्थापित किया जा सके क्योंकि महाभारत में ये कहा गया है कि यतो धर्मस्ततो जयः अर्थात जहाँ धर्म है वहीं विजय है।
सनातन काल से ही हमारे धर्म में अनेक ईश्वरीय सत्ताओं का अवतरण होता रहा है। भारत की पुण्यभूमि पर आने के लिए देवता भी तरसते हैं। यहाँ भगवान विष्णु ने अपने सारे दस अवतार लिये हैं। यहीं भगवान विष्णु ने श्रीराम और कृष्ण के रुप में भी अवतार लिया। भारत लाखों वर्षों से ऋषि, मुनियों और सद्गुरुओं की तपस्थली रही है।
हमारा उद्देश्य सनातन धर्म के वैदिक, पौराणिक, आगम और निगम ग्रंथों के आधार पर ऋषियों, मुनियों और सद्गुरुओं के वचनों को संसार में प्रचारित करना है।
हमारा उद्देश निर्गुण और सगुण दोनों ही परंपराओं के संतों और सद्गुरुओं के जीवन और उनके दर्शन का प्रचार करना है ताकि संसार इन संतो और सद्गुरुओं की शिक्षाओं से बेहतर बन सके।
हमारा उद्देश्य भक्तिकाल के महान सद्गुरुओं नानक देव जी, कबीर साहेब जी, रैदास जी, तुलसीदास जी, सूरदास जी के अलावा प्राचीन काल के महान ईश्वरीय सत्ताओं जैसे भगवान बुद्ध और महावीर की शिक्षाओं को भी प्रचारित करना है।
हमारा उद्देश्य मानव जीवन को समाज कल्याण के साथ स्वयं की मुक्ति के मार्ग को भी प्रशस्त करना है।
- सनातन सदगुरु में राम भी हैं, कृष्ण भी हैं, बुद्ध भी है और महावीर भी हैं।
- इस वेबसाइट का उद्देश्य सभी मतों में दी गईं ज्ञान परम्परा का प्रचार है।
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