September 22, 2024

रावण को कभी भी मार सकते थे हनुमानजी, कब-कब हुई रावण-हनुमान जी में लड़ाई ?

राम, रावण और हनुमान से जुड़ी कई कहानियों के बारे में तो आप खूब सुनते और पढ़ते होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि, भगवान राम के अलावा हनुमान जी रामायण में एक ऐसे शौर्यवान थे जो रावण को कभी भी परास्त कर सकते थे. इसका प्रमाण हमें रामायण काल में हुए युद्ध के दौरान देखने को मिलता है.

रावण-हनुमान जी के बीच क्यों हुआ मुष्टिका युद्ध ?

माता सीता की खोज में निकले हनुमान जी, लौटते वक्त रावण के सोने की लंका को जला देते हैं. इस भयावह अग्निकांड के बाद रावण क्रोध से लाल हो जाता है और वे हनुमान जी से युद्ध करने के लिए निकल जाता है. कुछ देर चलने के बाद उसे राम नाम की ध्वनि सुनाई देती है. राम की आवाजों का पीछा करते हुए जब रावण हनुमान के पास पहुंचा तो वे उनसे युद्ध करने का प्रस्ताव रखा. रावण ने हनुमान से कहा कि. हे वानर मैं तेरे प्रभु राम से पहले तुझसे युद्ध करना चाहता हूं, लेकिन तू डर मत मैं तेरी जान नहीं लूंगा. इस युद्ध में शर्त सिर्फ यह रहेगी कि, हम दोनों एक दूसरे पर मुष्टिका यानी मुक्के से प्रहार करेंगे और जिसके मुक्के का प्रभाव ज्यादा होगा उसे इस युद्ध में विजयी माना जाएगा. रावण की बातों को सुन हनुमान जी उसकी चुनौती को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि, हे लंकेश पहले तुम मुझ पर प्रहार करों क्योंकि मेरे प्रहार के बाद तुम सही से खड़े नहीं हो पाओगे. महाबली हनुमान की बातों को सुन रावण को यह लगने लगा कि रावण को यह लगने लगता है कि,यह अच्छा मौका है, मेरे पहले प्रहार से ही एक राम भक्त मौत की नींद सो जाएगा. हालांकि रावण का ये इरादा गलत साबित होता है क्योंकि उसके एक मुक्के के प्रहार से हनुमान जी के शरीर पर कोई असर नहीं होता है. रावण के इस प्रहार के बाद अब बारी हनुमान जी की आती है लेकिन उनके प्रहार करने से पहले देवताओं में एक तरह से बैचेनी सी होने लगती है. इस संसार के सृजनकर्ता ब्रह्मा को ऐसे लगना लगता है कि, यदि हनुमान जी ने अपने मुक्के का प्रयोग रावण पर कर दिया तो इससे उसकी जान भी जा सकती है और यदि रावण मारा गया तो प्रभु विष्णु का रामावतार लेने का कोई फायदा नहीं होगा. इसके बाद भगवान ब्रह्मा, हनुमान जी के सामने प्रकट हुए और उनसे रुकने को कहा. हालांकि बजरंगबली रावण की चुनौतियों को स्वीकार कर लिए थे. इसलिए उन्होंने, उनसे कहा कि, हे ब्रह्म देव यदि मैंने इस समय रावण पर प्रहार नहीं किया तो यह संसार मुझे कायर समझेगी. हनुमान जी की बातों को सुन ब्रह्मा जी ने उनसे कहते हैं कि.. ठीक है पवनपुत्र, तुम रावण पर प्रहार करों. लेकिन इतनी ताकत से ही उस पर प्रहार करना, जिससे उसकी मौत ना हो अन्यथा इस दुनिया की पूरी विधी विधान बदल जाएगी. ब्रह्मा जी के आदेश को मानते हुए हनुमान जी रावण पर कम बल से प्रहार करते हैं, जिससे वह मुर्छित हो जाता है. लेकिन कुछ समय बाद उसकी आंखें खुलती है तो वे हनुमान जी के वास्तविक रूप को पहचान लेता है. वो समझ जाता है कि, ये राम का भक्त कोई साधारण बंदर नहीं है बल्कि भगवान शंकर का साक्षात अवतार है. इस मुष्टिका युद्ध के बाद रावण ने हनुमान के सामने खुद की हार को स्वीकार की.

हनुमान जी ने रावण को क्यों मारा था थप्पड़ ?

श्रीमद्वाल्मीकी रामायण में युद्धकाण्ड के सर्ग-59 में रावण और हनुमान के बीच हुए युद्ध का उल्‍लेख है. इसमें लिखा गया है कि, प्रधान सेनापति प्रहस्त के मारे जाने के बाद रावण स्वयं युद्धभूमि में आया. जहां पहले ही दिन उसका हनुमान जी से सामना हुआ. हनुमान जी ने देखा कि, दस शीश वाला रावण वानर सेना को अपनी वाणों की वर्षा से छिन्न-भिन्न कर रहा है. तब हनुमान जी उसके रथ के पास पहुंचे और रावण से कहा- ‘निशाचर ! तुम्‍हें देवता,  दानव, गन्धर्व, यक्ष और राक्षसों से न मारे जाने का वरदान है लेकिन वानरों से तो तुम्हें भयभीत होना चाहिए.’ हालांकि बजरंगबली की बातों को रावण नजरअंदाज करता है. तभी अपना दायां हाथ उठाकर हनुमान जी रावण से कहते हैं कि- हे राक्षसराज ! देख, पांच अंगुलियों वाला यह मेरा हाथ, तेरे शरीर में चिरकाल से जो जीवात्मा रह रही है, उसे आज इस देह से अलग कर देगा’ अर्थात तेरी मृत्यु प्रभु राम की वाणों से पहले मेरे हाथों से ही हो जाएगी.

यह सुनकर रावण की आंखें लाल हो गईं और उसने क्रोध में कहा- ‘तुच्‍छ वानर! तू निशंक होकर अभी मुझ पर प्रहार कर, देखता हूं तुझमें कितना पराक्रम है, यह जानकर ही, मैं तेरा नाश करुंगा’. रावण की बातों को सुन हनुमान जी कुछ क्षण रुकते हैं और फिर कहते हैं कि. ‘तूने मेरे पराक्रम को पहले भी देखा होगा. किस तरह लंका-दहन हुआ, किस तरह मैंने पहले ही तेरे पुत्र अक्षय का वध किया लेकिन इसके बावजूद भी तू मुझसे पराक्रम की बात कर रहा है. दशानन से इस वार्तालाप के बाद हनुमान जी रावण को एक तमाचा जड़ते हैं. जिसके बाद रावण का शरीर ऐसे कांप उठता है, जैसे भूकम्प के आने पर पर्वत हिलने लगता हो. हालांकि, रावण को थप्पड़ खाते देख आकाश से ऋषि, वानर, देवता और असुर सभी हनुमान के जयकारे लगाने लगते हैं… लेकिन मौका पाकर रावण वहां से भाग जाता है.

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